कोशिश है के हम जीत जाएंगे
जीत ना सके तो मरघट जरूर पहुंचाएंगे।

हम खद्दरधारी हैं, हमारा दीन और ईमान नहीं होता
हम सब कुछ बेच कर पैसा बनाते हैं।

हम देश की आवाम को लड़ते हैं
हम अपनी जीत का झंडा और अपने किले, लाशों के ढेर पर बनाते हैं।

हम खद्दरधारी हैं। हम जनता, रेल, बैंक, हवाईजहाज ही क्या, हमने अपने ईमान बेचे हैं,
हमने इतना सब किया है, हम सब कुछ बेचना जानते हैं।

हमारे देश के लोग खुदगर्ज हैं, हम खुद के लिए जीना जानते हैं
हमसे उम्मीद रखोगे, हम तुम्हें भी बेच डालेंगे।

हम इंसानों की जमात के नहीं, हम सिर्फ खून पीना जानते हैं
हम से उम्मीद ना रखो, हम खुद की प्यास बुझाएंगे
पानी से प्यास ना बुझी गर तो, हम खून की नदियां बहाएंगे।

भूल गए वो लम्हा जब तुम हाथ जोड़े द्वारे आते थे
मुझे चुन लो मैं तुम्हारा हूं ये झूठी बात बतलाते थे।

क्या हुआ गर तुम भूल गए, अपने वादे अपना ईमान
हम नहीं भूले हमने तुम्हें अपने सिर आंखों पर बिठाया है।

जलजला बन तूफान जब आए, रूह सबकी कांपी है
पर भूल गए तुम आवाम की ताकत, उन्होंने सब को मुंह के बाल गिराया है।

मत भूलो इन्सान हो तुम, रब के कहर से तो डर लो
मत करो घमंड इतना, के समय वो आए, जब कंधा तो क्या; कुत्ते भी मुंह नहीं लगाएंगे।