मधुमिता, मधुरिमा, मानसी,
दृश्यातमक है नाम
दृश्टांत कल्लव भैरव
महाभयंकर परिणाम ।I
उचच्छादित मानसपटल
केंद्रीत कुंडलिनी जागृत
तेजोमय मां रुक्मिणी
शत शत तुम्हें प्रणाम ।।
रणचंडी सौदामिनी
दे मां एक वरदान
चरणों रज मां आपकी
करूं क्षिरोधारय उपरांत ।।
महामाया मां वैष्णवी
मां तुम्हें कोटी कोटी प्रणाम
मां तुम महिषासुर मरदिनी
खड्ग, कपाल मां धारिणी
सृष्टि करें गुणगान ।।
मां तुम प्रसन्न हो कर
दे दो ये वरदान
लाल तुम्हरा भूख से बिलखता
करो मां भूख को शांत ।।
दुःख दर्द सब के हर लो माता
हे मां किरपानिदान
मां तुम से ही जीवन सबका
करो मां प्रलय, महामारी को शांत ।।
नमन तुम्हें मां भगवती
सर्व सृष्टी विद्यमान ।।
मां तुम हो मां आदीशक्ती
तुम ने सृष्टी रचाई
तुम से मां जीवन सबका
मती इंसान की भरमाई ।।
क्षमा दान दो मां वैष्णवी
क्षमा मां महागौरी
क्षमा दान दो मां शैलपुत्री
कालरात्रि है आई ।।
तुम हो मां करुणा का सागर
तुम ही तारणहार
शांत हो माता मेरी
चरण वंदन करें स्विकार ।।
"मां वंदना"
Yogesh V Nayyar
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 07/21/2020
Poet's note: "My life is all because of blessings of Maha Mai Maa Vaishno Rani. My life is meaningless without Maa Vaishno Rani. I just can't be without worshiping my deity Maa Vaishno Rani."
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