कसकती जिंदगी के टेढे रास्ते
महकते बच्चपन की अठखेलियां।

वो मां की गोद में छुप जाना
याद आती है मां की लोरियां।

वो बेखौफ हो मां से लिपट जाना
याद आती हैं मुझे मेरी नादानियां।

वो बरबस भटकना
वो उलाहनों का किस्सा
पापा की बातें वो सरगोशियां।

वो नींद में पापा का दुलार
नम आंखों से टपकते पापा के आंसू
उन आंसू का दिल को छू जाना।

बिन कहे उनका सब कह जाना
उम्मीद से उनका भर जाना
चाहत में उनकी अनकही बातें
उनका हर पैमाने पर खरा उतर आना।

उनकी डांट में छलकता प्रेम का सागर
वो उम्र में उनका हाथ थामना
चलती घड़ी की सुई का थम जाना
मुझे याद है उनका चले जाना
अपार संपत्ति से मुझे निर्धन कर जाना।।

हाथों में कलश, मिट्टी में उनका मिल जाना
तकता हूं हाथों को अपने
सूचना मेरी जिंदगी को कर जाना
हाथों में तस्वीर ले उनकी
आंखों से आंसू छलकते हैं।।

आप मुझ में हो सदैव मेरे
विस्मित मुझे करते हैं।।