हर कदम पे जिंदगी रूकती हैं, कुछ कहने के लिए
यह कहती है, तुम आदमी हो आँसू नहीं बहाने के लिए
थोड़ा आराम करलो, तुम धरती नहीं बोझ सहने के लिए
हर लम्मे का लुफ़्त लो, तुम कहानी नहीं कहने के लिए
लाहेद और घर में फर्क हैं, पर दोनो जगह नहीं रहने के लिए
ऊँचाई से न डरो, बुलंदियाँ हैं चढ़ने के लिए
हर शै से दिल न लगाओ , दिल होते हैं धड़कने के लिए
चिरागो को माइएफूज़ न रखे, होते हैं भड़कने के लिए