Rafiq Pasha Poems
- 1. इंतज़ार किसका
जिंदगी जिंदगी कहती है की प्यार कर
और फिर ऐ कहे, किसी का इंतज़ार कर.
कौन हम से प्यार करे
... - 2. Solitude
Lousy, the life has become
or by me it is made wearisome.
Wanton was it, but once
had lots of fun.
... - 3. इन्सान और भूख
अगर इन्सान को ना होता पेट
ना कोई मजदूर होता , ना कोई सेठ.
ना कल की चिन्ता होती, ना आज कि फिक्र
मैफिल में बेबसी का ना होता ज़िक्र.
... - 4. आइना
ज़िन्दगी के दौड़ मे, छूट गए वह लम्हे
मैं उन लम्हो को अब, फिर जीना चाहता हूँ
लब्बो तक आकर न जाने कितने पियले छूट गए
... - 5. कल कि दूवा आज न हो खूबूल
दूवा हैं कि मेरी अनसुनी दुवाए अब न हो खूबुल
कल तक जो ज़रूरत थी, आज लग रही हैं फ़िजूल
न जाने कितने आस्तानों पे चिराग जलाए
... - 6. कुछ ख़याल अपने
हर कदम पे जिंदगी रूकती हैं, कुछ कहने के लिए
यह कहती है, तुम आदमी हो आँसू नहीं बहाने के लिए
थोड़ा आराम करलो, तुम धरती नहीं बोझ सहने के लिए
हर लम्मे का लुफ़्त लो, तुम कहानी नहीं कहने के लिए
... - 7. छुट्टी के मजेले
ज़िन्दगी का एक दिन कम होता हैं
छुट्टी का एक दिन खरीब होता हैं
ज़िन्दगी किस्से नहीं हैं प्यारी
यह बस अपना अपना नसीब होता हैं
... - 8. सुनहरे दिन
गुज़रा हुवा बचपन का वक़्त धुंदला सा याद हैं
बेफ़िक्री के लम्हे आज भी दिलो में आबाद हैं
चन्द चेहरे और चन्द दोस्तो के नाम याद हैं
उम्र के इस मोकाम पे भी, बचपन आबाद हैं
... - 9. मैं कौन हूँ
मैं मज़दूर हूँ, आज मैं मजबूर हूँ
वैसे तो मैं मेहनत क़े लिए मशहूर हूँ
कैसे दो रोटी जुटाऊ
...