वक़्त बेहद नाजुक ,
न सरल न ही भाउक ,
मैंने भी खोया है,
जिसका इल्म है,
गुजरा ओ पल,
जिस पल में सुकून ,
ठुकरा कर दामन''
आँचल का हो लिया,
ऐसा वक़्त था ,
जिसकी अब कल्पना मात्र है,
मेरा वक़्त न पहले साथ था,,,
न आज साथ है।।
वक्त
Satish Sen Balaghati
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/27/2019
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