दिन बुरे हो सकते है,
जिंदगी नहीं,,,,
आदत बुरी हो सकती है,,
इंसानियत नहीं,,,,
बेवजह इल्जाम लगाने से पहले,,,,
मन के दर्पण / गहराई में झांक लेना,,,,,
आंखे धोका खा सकती है,,,,
मन नहीं,।।
सतीश सेन बालाघाटी
।।कोई शक।।
हालात,
Satish Sen Balaghati
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/24/2019
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