ख्वाब,,

जब तलक है ये ज़िंदगी
भला सुकून कहां होगा
हर आरज़ू पूरी के बाद
एक नया ख्वाब आंखो में होगा


बेशक कामयाबी कदम चूमेगी
जब तक न आराम होगा
भरोसा खुदके हौसले में ,,,,रख
ये सारा जहां ,,,,,तेरा
और तू इसका प्यारा इंसान होगा,


न कर गुमान औरों की बंदगी में,
नेक बंदगी से कीर्तिमान होगा,
राह बनेगी कामयाबी की,
जब खुली आखों में नया ख्वाब होगा,


रास्ते अक्सर खुद तय करने वाले,,,
तेरी मुठ्ठी में जहान होगा,,,
गर मतलबी कहे जमाना तो सिर्फ,,,,
उनका अपना ये स्वभाव होगा,,,
तेरी अपनी जमीं,
तेरा अपना आसमान,
फैसले तेरे,
बस औरो का तो,
चंद पलो का साथ होगा,


कोई न जन्मा इस दुनिया में ,
जिसे दौलत सौहरत साथ लेजाना है,
कर नेक बंदगी ,
दुनिया में अमर नाम होगा,


जीते तो हर कोई है,
अपनी जिंदगी ,
बेशक अपने अंदाज़ से,
थोड़ा मतलबी हो जा,
औरों के लिए,
जमाने में तेरा भी नाम होगा,
न लाए ,
न ही ले जाएंगे,
था,है,या होगा,
के चक्कर में,
यति तो समशान होगा,
यति तो समशान होगा,


जब तलक है ये ज़िंदगी ,
भला सुकून कहां होगा,
हर आरज़ू पूरी के बाद,
एक नया ख्वाब आंखो में होगा,

सतीश सेन बालाघाटी