मत पूछ मेरे दिल से रहता कहाँ है अब वो,
कहीं गुम सा हो गया है आ कर शहर में तेरे।
रातों की नींद छोड़ो दिन का सकून गुम है,
बढ़ते ही जा रहें हैं तन्हाइयों के घेरे।
परेशान सा रहता हूँ कुछ आजकल पता है,
ओर जानता हूँ यह भी कि यह हैं क़िस्मतों के फेरे।
उदास हूँ कि किसी दोस्त ने पूछा नहीं है हाल ,
शायद ख़बर नही है कुछ दोस्तों को मेरे।