वहीं दिल हैं वही महफ़िल वही ज़ाम ए मुहब्बत है
वही शाम ए मरासिम की वही हाल ए क़यामत है।
वहीं रंगीनीयॉ दिल में , ज़ुबां पे चुलबुलापन है,
वही मस्ती है आँखों में, मानों मदहोश आलम है।
मैं कैसे भूल जाऊँ उन हँसीं रंगीं नज़ारों को ,
सकूँ देते हुए लम्हों व यादों की बहारों को।