फ़ुरसत में मेरी याद जब आई होगी,
रस्म ए तन्हाई ही निभाई होगी।
आँख बंद करके कुछ सोचा होगा,
फिर वह चुपके से मुस्कुराई होगी।
अश्क़ आँखों में तो आएँ होंगे,
ख़ुश्क होंठों पर आह आई होगी।
दस्तूर ए मुहब्बत निभाना ए दोस्त,
मन ही मन वह गुनगुनाई होगी।