जन्म सिद्ध अधिकार होता है जिनका,
जन्म लेते ही पाना देवियों सा सम्मान।
नहीं होती है बोझ,
बेटियां होती हैं हर घर का मान।
आज का दौर अलग है दोस्तों।
बेटों से ज्यादा बेटियों की वजह से,
पिता खड़े होते हैं सीना तान।
नहीं होती है बोझ,
बेटियां होती हैं हर घर का मान।
धन्य होते हैं वह माता-पिता,
जिनके घर जन्म लेती हैं बेटियां।
बेटी की ही वजह से वह करते हैं,
इस दुनिया का सबसे बड़ा दान (कन्यादान)।
नहीं होती है बोझ,
बेटियां होती हैं हर घर का मान।
जो दर्द पहुंचाते हैं इन बेटियों को।
उनको फंदे पर लटका दो,
बदलकर देश का संविधान।
नहीं होती है बोझ,
बेटियां होती हैं हर घर का मान।
नहीं होती है बोझ, बेटियां होती हैं हर घर का मान।
Rishabh Chawla
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 06/22/2020
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