नींद नहीं ली है इन्होंने कई रातों से,
देश के लिए चल रहे हैं कांटो पे,
इंसान नहीं है यह आम,
देश के इन शूरवीरों को
करता हूं मैं दिल से सलाम।
वर्दी खाकी हो या सफेद,
नहीं किया इन्होंने किसी भी जाति में भेद,
देश को बचाना है इनका सर्वप्रथम काम,
देश के इन शूरवीरों को
करता हूं मैं दिल से सलाम।
हकदार हैं जो फूलों के,
बरस गए उन्हीं पर पत्थर,
पकड़ कर लटका दो फंदे पर,
यही है इन पत्थरबाजों की इस हरकत का अंजाम,
देश के इन शूरवीरों को
करता हूं मैं दिल से सलाम।
आबाद रहे देश हमारा,
इसीलिए खेल रहे हैं अपनी जान पर,
कल जितना था आज उससे दोगुना है,
आप सबके लिए सम्मान,
देश के इन शूरवीरों को
करता हूं मैं दिल से सलाम।
देश के शूरवीरों को सलाम। (salute To The Country's Knights)
Rishabh Chawla
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 06/21/2020
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