विजय कर विजय कर!
विपत्ति से किंचित न डर

कठिन घड़ी है आ पड़ी
मृत्यु नर्तन कर रही
उठा भुजा संकल्प कर
साहस से इक हुंकार भर

विजय कर विजय कर!

हृदय का आत्मबल बढा
मन में इक संकल्प कर
दिशा दिशा उज्ज्वल बने
तिमिर में तू प्रकाश भर

विजय कर विजय कर!

क्लांति भय को टाल कर
शुचि संस्कार याद कर
मृत्यु का तांडव टले
विजय का शंखनाद कर

विजय कर विजय कर
विपत्ति से किंचित न डर!

एकता उपाध्याय (गोरखपुर)