Ekta Gorakhpuri Poems
- 1. प्रीति की राह पर
रूखी अलकों को सजल कर
प्रीति की इस राह पर
दीप धरती बावरी सी
मैं खड़ी इस पार प्रिय--
... - 2. विपत्ति से न डर
विजय कर विजय कर!
विपत्ति से किंचित न डर
कठिन घड़ी है आ पड़ी
... - 3. ए दिल कही और ले चल
(पलायन करते मजदूरों का दर्द)........
....कौन कहता है रंगीन है दुनियां तेरी
स्याह रंगों से भरपूर हैं दुनियां तेरी
ये भूख कितनों के अरमानों पर भारी पड़ी
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