जब बज रहे हो रात के बारह ,
और शान्ति हो चारों ओर
तो सुनना -
बोलती है घड़ी ,
बहुत तेज।
क्या दिन में नहीं बोलती ?
अजी ! बोलती है -
लेकिन दिन भर की बाहर की आवाजें
नहीं सुनने देतीं उसे हमें ।
उसी तरह हमारी अंतरात्मा भी -
बोलती है बहुत कुछ ,
जो हमारे लिए उपयोगी है ।
लेकिन हमारे अन्दर मौजूद विकार -
काम , क्रोध , मोह , लोभ आदि ।
नहीं सुनने देते हमें -
अंतरात्मा की आवाज ।।
— सूर्य प्रकाश शर्मा
अंतरात्मा की आवाज
Surya Prakash Sharma
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