क्या लिखूं उस माँ के बारे में जिसने खुद मुझे लिखा है,
उसके प्यार को कैसे शब्दों में बांधू....
जिसका वेद पुराणों ने किया बखान है
मां की ममता को पाने की खातिर
लिया भगवान ने भी अवतार इंसान का हैं........
अब क्या लिखूं उस मां के बारे में
जिसने खुद मुझे लिखा है......
खुद भूखी सो गयी, पर मुझे भर पेट खिलाया है,
उसके हाथ का खाना खा कर बाहर का खाना भूल गई ,
माँ के हाथ की बनी रोटी के आगे तो,Five-Star का खाना भी फेल हो गया.......
ख़ुद गिले में सो कर मुझे हर पल सूखे में सुलाया है,
खुद काटो पर चल कर मुझे फूलों का दामन थमाया है,
चाहे कितने भी कभी मखमल के गद्दे मिले , नींद मुझे उसी बिछौने पे आयी है,जो माँ के आँचल से बनाया गया हों.......
उस खुदा ने मुझे दौलत नहीं दी, सौहरत नहीं दी.......
लेकिन मेरी तकदीर में माँ लिख कर मुझे दुनीया का सबसे अमीर इंसान बनाया है......
क्या लिखूं उस मां के बारे में जिसने खुद मुझे लिखा है!!
मां की ममता
Sonam Sharma
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 01/16/2023
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anjali gupta: im alsoo a tennager writer ...i really like this poerty love from up
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