हाँ मुझे विश्वास हैं,
की रात के तारें महँगे रेस्टौरंट से ज़्यादा खूबसूरत होते हैं।
मुझे विश्वास हैं,
की बाइक पर तुमसे चिपक के बैठने वाले लम्हें कार के लम्हों के सामने अब भी छोटे हैं।।
तुम्हारा हाथ थाम कर रस्तों पर चलना,
बेवजह बातें बना कर यहाँ वहाँ टहलना,
मुझे विश्वास हैं,
की ऐसे लम्हें अब भी होते हैं।।
मेरी छोटी छोटी बातों पर तेरा यूँ हसना,
तेरी एक झलक देख कर मेरा यूँ खिलना,
आज से कई साल बाद भी,
मुझे साड़ी में देख तेरा यूँ पिघलना,
मुझे विश्वास हैं,
की ऐसे लम्हें तब भी होंगे,
तब जब चेहरे पर झुरियों,
और सफ़ेद ज़ुल्फ़ों में मैं तुमसे पूछने आऊँ,
सुनो! शाम हो गई हैं,
अदरक वाली चाय बनाऊँ??
विश्वास
Shilpi Rani
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 11/28/2020
Poet's note: The believe that love will last till eternity. The believe that love will increase more everyday, every moment..it's a believe!!
(1)
Poem topics: , Print This Poem , Rhyme Scheme
Write your comment about विश्वास poem by Shilpi Rani
Best Poems of Shilpi Rani