तुम श्रृंगार करने से रोकोगे,
मैं दुपट्टा ओढ़ आऊंगी।
तुम नाराज़ हो जब जाओगे,
मैं काँधे पर चढ़ जाऊँगी।।
कभी प्यार करे तो लड़े कभी,
ऐसे तेरे संग रहना हैं।
जीवन की इन राहों में,
बोलो! तुमको कुछ कहना हैं?
तेरे होंठों की वो लकीरें,
मुझको अच्छे से याद हैं।
क्या नहीं किया खातिर तेरे,
बोलो भी! क्या फरियाद हैं??
नाराज़!
Shilpi Rani
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/17/2020
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