जग जगत लागे धूल बराबर
ऐसो प्रीत लगायो है
सुबह शाम थारो नाम जपत है
पीर ना अब सह पायो है

कि दिन रात का ना तो पता चले अब
कब के कब बीत ये जायो है
मिलन की है आस जगी अब
पर तू कभौं ना आयो है

की मिले जो तू तो व्यथा सुनाऊं
म्हारे दिल का दुख दर्द बताऊं
प्रेम में थारो रंग्यो एसो
श्वेत ना अब तनीक भी भायो है
सुबह शाम थारो नाम जपत है
पीर ना अब सह पायो है

की मीरा जैसो जोग करूं मैं
श्याम मनोहर नाम जपुं में
प्रेम में थारो रंग्यो एसो
श्वेत ना अब तनीक भी भायो है
मिलन की है आस जगी अब
पर तू कभौं ना आयो है।