हमको यह उम्मीद है ऐसा ज़माना आएगा
सब के हिस्सों में जब एक-एक आशियाना आएगा

आज पतझड़ कल बहाराँ मौसमों की गश्त है
ऐ गुले मायूस मौसम फिर सुहाना आएगा

जिसकी आँखों में हैं शोले जिसके सीने में जलन
उसके लब पे अम्नो-उल्फ़त का तराना आएगा

साक़ी और मैख़ार के किरदार बदला कीजिए
सबको पीना आएगा सबको पिलाना आएगा

हम दीवाने हैं मगर ऐसे भी दीवाने नहीं
हम ही दीवानों से उठ कर एक सयाना आएगा

काम को ईमान से अंजाम देता चल बशर
जाने किस सूरत में तेरा मेहनताना आएगा