वे वहाँ पर देश की दीवार बनकर के खड़े हैं ।
दुश्मनों को क्या पता है, वीर पर्वत से अड़े हैं।
जो कोई हथियार की धमकी दिया करते हैं हमको ,
सैनिकों के हौंसले हथियार से उनके बड़े हैं ।।
जब भी दुश्मन लाँघ आया , कर दिया उसका दमन।
सैनिकों को है नमन , सैनिकों को है नमन ।।
छोड़कर माता-पिता को देश की ख़ातिर उन्होंने ,
सरहदों के नाम ही जीवन स्वयं का कर दिया है ।
चाहे दीवाली स्वयं की, गुज़र भी जाएँ अँधेरी।
पर स्वयं के शौर्य से भारत प्रकाशित कर दिया है।।
उन सभी की ही बदौलत देश है अपना चमन ।
सैनिकों को है नमन , सैनिकों को है नमन ।।
किसी नेता की प्रतिष्ठा, या कि फ़िल्मी नायकों की।
किसी मंत्री की प्रतिष्ठा, या कि फ़िल्मी गायकों की।।
कोई व्यक्ति सैनिकों सा त्याग कर सकता नहीं है ।
देश की ख़ातिर कोई हँस करके मर सकता नहीं है।।
नित्य ही बलिदान देकर , कर रहे हैं वे हवन ।
सैनिकों को है नमन , सैनिकों को है नमन ।।।
सैनिकों को नमन
Surya Prakash Sharma
(1)
Poem topics: , Print This Poem , Rhyme Scheme
Submit Spanish Translation
Submit German Translation
Submit French Translation
Write your comment about सैनिकों को नमन poem by Surya Prakash Sharma
Best Poems of Surya Prakash Sharma