गवारा नहीं
गवारा नहीं मुझे
मेरी रूह से वाजिद होना
मगर कसर उन्होंने भी नहीं छोड़ी मेरे जिस्म को नोच खाने की
गवारा नहीं था मुझे
मेरा यू सर झुका कर
आंखें बंद कर कर सब सहने का और किसी के लिए नहीं
अपने जैसी उन हजार लड़कियों का वजूद बचाने के लिए गवारा नहीं मुझे मेरा मोन रहना
मेरा यू समाज के सामने एक खिलौने सा चुप रहना
गवारा नहीं मुझे
उन दहेज में तड़पी हजारों लड़कियों को रोज-रोज
यू शमशान की आग में जलते देखना
हां गवारा नहीं मुझे
मेरे आजादी के पंखों को उन लोगों के हाथ कटवा देना जिनका वजूद मुझसे हो
गवारा नहीं मुझे
उस गंदगी भरे समाज के साथ जीना मरना
जहां बेटी बहू को खरीदना बेचना आता हो
गवारा नहीं मुझे
उनका यू मेरा वजूद मिटाने का हक देना
जिसे मेरे मा बाप ने संसार से परिपूर्ण संकरो से बोया था
मेरे अस्तित्व को
गवारा नहीं मुझे
कि कोई अफसोस हो मेरी लड़की होने से
एक पिता की बेटी हूं
बेटा नहीं बनना चाहती बेटी हूं
कोई कलंक तो नहीं जो अपना वजूद बदल दू
हां माना खिलौना हो सकती हूं उनके लिए
मगर मै अपना जीवन कैसे त्याग दू उनको
इस संसार मै मेरा इतना ही हक है
जितना कि एक लड़के को
इसलिए गवारा नहीं था मुझे
यूं घर में एक चुप सामान सा खड़े रहना
इस खुले आसमान में ख्वाबों संग उड़ना चाहती हूं
गवारा नहीं था मुझे
खुद को यूं दबाना
गवारा नहीं था
गवारा नहीं था।