थम जाये पहिया समय का....!
_______________________________
बोल दो प्रिये कुछ मधुर सा
कि थम जाये पहिया समय का
साँसों में सरगम भर जाती हो हरपल
धड़कन में वीणा बजाती हो हर क्षण
पलकों तले आके गुनगुनाती हो हरदम
वो स्वप्न-गीत गा दो मधुर सा
कि थम जाये पहिया समय का
बोल दो प्रिये कुछ मधुर सा
कि थम जाये पहिया समय का
वाणी में मधु गंध भरके
छंदों का श्रृंगार करके
अधरों को खोल दो तुम
शब्द में बहार भरके
जम ही गया हूँ पाषाण सा मैं
तुम बूँद बनके धार बहा दो
राग सुना दो मधुर सा
कि थम जाए पहिया समय का
बोल दो प्रिये कुछ मधुर सा
कि थम जाये पहिया समय का
फूल सुगंधा, रजनीगंधा
कुछ-कुछ छुई-मुई सी
तारों का गुलशन, अम्बर की चंदा
रजनी की तू चाँदनी सी
साकी सी चहके मयखानों में
हाला को भरके पैमानों में
मदिरा पिला दो जरा सा
कि थम जाये पहिया समय का
बोल दो प्रिये कुछ मधुर सा
कि थम जाये पहिया समय का
नैनों में नैनों को को खोने जरा दो
सपनों में प्राणों को सोने जरा दो
कजरा लहके गजरा महके
कुंदन सा तेरा तन दहके
भूचालों सा मन ये बहके
प्रेम के तालों पे तन मेरा थिरके
सुर तुम सजा दो मधुर सा
कि थम जाये पहिया समय का
बोल दो प्रिये कुछ मधुर सा
कि थम जाये पहिया समय का
—कुँवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह
*यह मेरी स्वरचित रचना है |
थम जाये पहिया समय का....!
Kunwar Sarvendra
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 10/31/2019
(1)
Poem topics: , Print This Poem , Rhyme Scheme
Previous Poem
Eka Bara Lena Piya Amkha Bhara Nihara....! Poem>>
Write your comment about थम जाये पहिया समय का....! poem by Kunwar Sarvendra
Best Poems of Kunwar Sarvendra