जिंदगी कुछ उदास सी हो गयी है,
सब कुछ मानो एक सा हो गया हो
सूरज का उगना व दूबना एक समान लगता है अब
जिंदगी में वो बात कंहा रह गयी है
जिंदगी कुछ उदास सी हो गयी है,
दिन रात में ज्यादा अंतर नही लगता ,
दिन में भी चारों ओर अंधैरा सा लगता है
जागते हुए भी सोया सा लगता है
क्या हो गया है जिंदगी बता तो दे,
जिंदगी में वो बात कंहा रह गयी है
जिंदगी कुछ उदास सी हो गयी है,
अब हर पल थकावट सी महसूस होती है
बैठे हुए भी रफ्तार लगती है
कुछ न कहते हुए भी दिमाग बोलता रहता है
अब सच्ची बाते भी नही होती ,
मतलब की दुनिया में मतलबी बन गयी हूं
बात न करने के बहाने ढूढंती हूं, क्योंकि
जिंदगी में वो बात कंहा रह गयी है
जिंदगी कुछ उदास सी हो गयी है,
उदास सी जिंदगी
Divya Rana
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/03/2020
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