आप तो हाथ छुड़ा कर के चले जाएँगे
पीछे रह जाएँगे ये दर ये दीवारें तनहा
राह देखा करेंगी राहगुज़ारें तनहा
आप के हिज्र में हर गुल बुझा बुझा होगा
आप के बाद इस गुलशन का भला क्या होगा
कि भटक जाएँ ना हम दश्ते-ज़माने में कहीं
मगर ऐ राहनुमा हमको गिला कुछ भी नहीं
प्यार आता है जिन्हें प्यार किए जाएँगे
मुश्किलों को तमाम पार किए जाएँगे
मेहरबाँ आएँगे आ कर के चले जाएँगे
और हम इस तरह आगे भी छले जाएँगे
आप तो हाथ छुड़ा कर के चले जाएँगे
राहनुमा
C K Rawat
(1)
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