हम मानते है कि हम तेरे काबिल नहीं ।
मोहब्बत तो दिल ने की हमारी काया ने नहीं।।
चेहरे बहुत देखे तुझसे खूबसूरत
पर ये दिल है किसी और पे बसता ही नहीं ।
कोशिश बहुत की तुझे भूलने की
पर ये दिल है कि तुझे भूलता नहीं ।।
मिले बहुत मुझे चाहने वाले
पर ये दिल तुझसे हटता नहीं ।
अब तू ही बता क्या करू इस दिल का
जो है कि मानता नहीं ।।
Bhupendra Nishad
ये दिल है कि मानता नहीं
Bhupendra Nishad
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/01/2020
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