एक बात मुझे बहुत सताती है
जो लिखता हूं वह बातें बहुत याद आती है
लिखता भी हूं तो क्या लिखता हूं
तेरी याद बहुत आती है तेरी याद बहुत
पर यह मत सोचना
तुम बिन अधूरा हूं
तुम कैसे रह लेती हो मेरे बिन
बस यही बात याद दिलाती है
लिखता भी हूं तो क्या लिखता हूं
तेरी याद बहुत आती है..............
तेरी याद क्यों आती है
मुझे इस बात का कोई गम नहीं नहीं
पर तेरी याद सताती है
इस बात में उलझा हूं कि
क्यों लिखता हूं वही बातें
तेरी याद बहुत आती है तेरी याद बहुत आती
तू दिखे ना दिखे मुझे तेरी बातों को सोच कर लिखता हूं
और लिखता भी हूं तो क्या लिखता हूं
तेरी याद बहुत आती है......
तेरी याद बहुत आती है
Vr Singh
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 10/17/2019
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