मिली थी तुम कहां इस बात को पूरा कर आओ तो सही
पास आओ अपने दिल के जज्बात बताओ तो सही
एक बार आओ गले लगाओ तो सही
दूसरों को चांदनी की तरह रिझाओ नहीं
कान के झुमको को यह दिखाओ नहीं
मेरे दिल को यूं तड़पाओ नहीं
मेरे पास आओ गले लगाओ तो सही
यही सोचा करता हूं गले लगाओ तो सही
डोली में बैठ कर रो नहीं मुस्कुराओ तो सही
अपने प्यार के साथ रातें बिता हो तो सही
एक बार आओगे लगाओ तो सही
मैं जाग गया अचानक रातों में
सपनों में आकर सुनाओ तो सही
एक बार आओ गले लगाओ तो सही
एक बार आओ तो सही
Vr Singh
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 10/17/2019
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