महज़ मौहब्बत होती तो भूल भी जाते,
पर दिल के सुकून को कोई कैसे भूल जाए ?
वो सर्दी की सुबह में रजाई की गर्माहट हो तुम।
वो सुबह आठ बजे वाली क्लास में,
सुकून की दो मिनट वाली नींद हो तुम।
वो शाम की एक प्याली चाय हो तुम।
वो सर्द हवाओं का झोंका हो तुम।
वो रातों को जगाने वाली कॉफी हो तुम।
वो गाजर के हलवे से भी ज़्यादा मीठी हो तुम।
वो पानीपूरी से चठपटे हो तुम।
वो गर्मी में ठंड़े शरबत से हो तुम।
वो समुंदर के किनारे वाला सुकून हो तुम।
वो बारिश के बाद वाली मीठी सी खुशबू हो तुम।
वो मेरी जान होकर भी,
जान से ज़्यादा प्यारे हो तुम,
अब बताओ कैसे भूल जायें तुम्हें?
महज़ मौहब्बत होती तो भूल भी जाते, पर दिल के सुकून को कोई कैसे भूल जाए ?
Sweta Banthia
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/28/2019
(1)
Poem topics: , Print This Poem , Rhyme Scheme
Previous Poem
Next Poem
Write your comment about महज़ मौहब्बत होती तो भूल भी जाते, पर दिल के सुकून को कोई कैसे भूल जाए ? poem by Sweta Banthia
Best Poems of Sweta Banthia