मुझे बदल के कहती है कि तुम पहले ही अच्छे थे।
जब में उससे झूठ बोलता था तो कहती थी तुम कितने सच्चे हो ।
आज सच बोला तो रुठ गयी बच्चो की तरह रोते हुए कोने में बैठ गयी उसको मनाया बहलाया फुसलाया तो चुप हुए कहा मेने की यह झूठ है तो कहती ह तुम कितने अच्छे हो ।
वो लड़की
Madhur Upadhyay
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 09/13/2019
(1)
Poem topics: , Print This Poem , Rhyme Scheme
Previous Poem
Next Poem
Write your comment about वो लड़की poem by Madhur Upadhyay
Best Poems of Madhur Upadhyay