चांद तुझसे एक शिकायत है
तू हर रोज आता है
कभी साफ नजर आता है कभी बदली मे छुप जाता है
तू अपने साथ उसकी याद लाता है
फिर तुझे देख कर जब उसे याद करती हूँ
मेरी आखों मे आकर फिर छट से छलक जाता है।
चांद तुझसे एक शिकायत है
तू मुझे कुछ उस सा नजर आता है
मुझे शान्त करके मुझसे शीतलता भरता जाता है।
मेरे पास,मेरे करीब और मेरे सामने तो होता है
पर जब छूने की कोशिश करू तो हर बार की तरह खेल खेलता जाता है
ऐ चांद तुझ्से शिकायत है।