उठ माँ मैं हूँ तो सही
नहीं पता था मुझ मासूम को
क्या होती हैं भूख
जिस माँ ने दिया जन्म
देती थी वह दूध।।
नींद ना आती थी उसे
अगर सोए ना उसका लाल
क्यो सो गई गहरी नींद में
जो जागी ना वह मेरे साथ । ।
मेरी एक आवाज़ से उठ जाती थी
वह पल भर में
फिर क्यू आज तू जागी ना माँ ।
भूख जो लगी तुझे
चली गई मुझसे तू दूर ।
खींचता रहा उस आंचल को
छुपाया था मुझे कभी
कंधा देना था कभी,
कंधा दूंगा अभी ।।
उठ माँ मैं हूँ तो सही
उठ माँ मैं हूँ तो सही।।
नन्हे मासूम की पुकार
Chandni Garg
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 06/01/2020
(2)
Poem topics: , Print This Poem , Rhyme Scheme
Previous Poem
Avaza Do Kabhi Poem>>
Write your comment about नन्हे मासूम की पुकार poem by Chandni Garg
Best Poems of Chandni Garg