ज़ोर से सुलझा नहीं मसला कभी
जंग से कुछ हल नहीं निकला कभी
लड़खड़ाया जो अंधेरी राह में
वो यक़ीनन फिर नहीं संभला कभी
घर से जो बाहर न था निकला कभी
लौट के आया न वो पगला कभी
वक़्त ने सीनों पे पत्थर रख दिए
फिर किसी का दिल नहीं पिघला कभी
था कहाँ जाना कहाँ हम आ गए
रास्तों ने भेस यूँ बदला कभी
जंग
C K Rawat
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