आयू है चीज़ बड़ी कमाल,
लोगों में इसका बड़ा धमाल,
सबका है अलग नजरिया,
दिल पर ना लो तो चीज है बढ़िया,
कोई किसी को पुकारे बूढ़ा,
तो किसी को बच्चा,
गलती करने पर क्या बूढ़ा क्या बच्चा,
सबको सुनना पड़ता है अच्छा खासा,
किसी को कम, किसी को कुछ ज्यादा ।
बच्चों का मानना वह जब होंगे बड़े एक दिन,
करेंगे मौज उस दिन,
सुनेंगे ना बात किसी की,
करेंगे सिर्फ खुद की,
परेशानी होगी जब और भी बड़ी,
होंगे जिम्मेदारियों के बोझ भारी,
याद आएंगे उनको वही बचपन के दिन,
जिनमें मौज ना करके सोचते थे रात-दिन,
कब आएगा वो दिन! कब आएगा वो दिन!
समय के साथ बढ़ती है आयु ,
जैसी बहती रहती है वायु ,
रोक न पाया इसको किसीने ,
नाकामयाब रहे कोशिश किया जिसने ,
स्वीकार करो अपने वर्तमान को ,
सोच के ना बिताओ इस पल को ,
खुल के जियो वर्तमान को ,
दुखी ना हो बीत गया जो पल वो ,
बढ़ती आयु को बनाओ मौज का ज़रिया ,
बनो बेफिक्र और छोड़ो आयु का चिंता ।
आयू
Anubhavranjan Dasgupta
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/13/2020
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