कवि तो कवि होते है ।
ये ऐसे बुद्ध जिवी होते है
प्रखर इनकी रचनाओं में
शब्दों से रवि होते है।
हैदराबादी, उर्दू , या हिन्द,
ये लखनवी होते है ।
व्यंग, कविताएं, तंज कसने में,
ये बड़े अनुभवी होते है ।
कागज़ वस्त्र इनके ,
कलम आभूषण
समाज में साक्षरता की छवि होते है।
मै कवि नहीं , और क्या लिखूं ,
कबीर , तुलसीदास , बच्चन , निराला,
संसार में कभी कभी होते है ;
कवि तो कवि होते है ।।
Kavi To Kavi Hote Hai...
Abhidat Fale
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 04/20/2020
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