"अब बस हुआ"
नफ़रत का बीज अब और न बोना है;
ये वायरस है साहब, नाम इसका कोरोना है।
हिन्दू हो या मुस्लिम, एकता का रस ना हमको खोना है।
ना जंग, ना गाली
ना पत्थर, ना लाठी;
इस बार बस दूर रहकर
हाथ धोना है।
- अभिदत फले