पत्थर कितने मारे
कुछ तो हिसाब रखो यारों।
कितने आसमान को छेद किये
कुछ तो हिसाब रखो यारों।
कितने मन में भेद किये,
अब दिलसे नफरत निकालो यारों।
गर दिल नहीं तुम्हारे पास तो
पत्थरों से दिल निकालो यारों।
कोई चीख आये कानों में तो
वो चीख सुना जाये यारों।
कोई पत्थर हाथ में आ जाये तो
उसके दिल की धड़कन सुना जाये यारों।
पत्थरों से बनी मंदिर मस्जिदों में,
पत्थर के भगवान को सुनो यारों।
दर्द पत्थर बन बरसने लगे है,
अब सिसकते आकाश के
दर्द को भी सुनो यारो।
कुछ तो हिसाब रखो यारों
Thakur Chhatwani
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 02/26/2020
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