सोचता हू कभी-कभी की काश ऐसा होता ।
मौत तेरी बाहो मे होता,तो कितना अच्छा होता ।।
शायद पूरी जिन्दगी साथ रहना,मुश्कील हो ।
पर जिन्दगी की आखरी घङी,तो साथ नसीब हो ।।
बिना तेरे जीने की, कल्पना भी मुश्कील है ।
क्या बताऊ तुझे,मुझे तेरी आदत सी है ।।

काश ये वक्त आज यही ठहर जाये ।
कुछ ओर समय,संग जीने को मील जाये ।।
एक ओर इच्छा है,मन मे मेरे ।
खूदा मौत दे मुझे,तुझसे पहले ।।
तुझसे अलग होने का सोच भी,मुझे डराता है ।
मेरा यही दर्द ''प्यार का नगमा" कहलाता है ।।