सोचता हू कभी-कभी की काश ऐसा होता ।
मौत तेरी बाहो मे होता,तो कितना अच्छा होता ।।
शायद पूरी जिन्दगी साथ रहना,मुश्कील हो ।
पर जिन्दगी की आखरी घङी,तो साथ नसीब हो ।।
बिना तेरे जीने की, कल्पना भी मुश्कील है ।
क्या बताऊ तुझे,मुझे तेरी आदत सी है ।।
काश ये वक्त आज यही ठहर जाये ।
कुछ ओर समय,संग जीने को मील जाये ।।
एक ओर इच्छा है,मन मे मेरे ।
खूदा मौत दे मुझे,तुझसे पहले ।।
तुझसे अलग होने का सोच भी,मुझे डराता है ।
मेरा यही दर्द ''प्यार का नगमा" कहलाता है ।।
"प्यार का नगमा''
Pyar Ka Nagma
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 03/26/2020
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