वो पूछतीं हैं,मतलब क्या है तुमसे,
और मैं खामोश हो जाता हूं।
वो बोलती रहती है,
और मैं सुनता रह जाता हूं।
कुछ इसी तरह से, ये रिश्ता,
सालों से निभाएं जा रहा हूं।
उसकी बातों से हुएं,जख्मी दिल को,
उसी से छुपाएं जा रहा हूं।
तकलीफ होगी उसे भी, ये जख्म देखकर,
इसी बात से ख़ुद को बहलाए जा रहा हूं।
कुछ इसी तरह से,ये रिश्ता,
सालों से निभाएं जा रहा हूं।

कभी तो समझेंगी वो मेरे प्यार को,
इसी आशा से, खुद को समझाएं जा रहा हूं।
कुछ इसी तरह से,ये रिश्ता,
सालों से निभाएं जा रहा हूं।