हर दफा तुझको मैं
इतना प्यार करता हूं
चाहतो कि बे सुमार
बारिश मैं भीगता हूं
औ औ औ औ...
आ आ आ आ....
तुझसे हुई जो
पहली मुलाकात
कि तू याद बन गई
मोहब्बत जो
तुझसे हुई
तो तू मीठी बात
बन गई...
ये लम्हा, ये लम्हा
ये लम्हा कैसा छाया है
तुझको अपना मानकर
खुद को कुर्बान किया है
तेरे प्यार ये कैसा है
जो खुद को भुला पाता हूं
चाहतो कि बे सुमार
बारिश मैं भीगता जाता हूं
औ औ औ औ...
आ आ आ आ....
साथ बिताये
तेरे मेरे लम्हे
मुझको याद है
किये जो
तूने मुझसे
वो रिश्ते नाते
याद है
ये लम्हा, ये लम्हा
ये लम्हा कैसा छाया है
बात इतनी
पुरनी भी नही
जो तुझको
अब याद न है
फिर भी मैं तुझको
ही पाना चाहता हु
अब भी तुझको मैं
इतना प्यार करता हूं
हर दफा तुझको मैं
Kamesh Yadav
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 06/05/2020
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