जिन्दगी को जीना सीखो
हर आन्सू को पीना सीखो
हर पल मुसकुराना सीखो
रास्ते आसान बनाना सीखो
अपने लिए लड़ना सीखो
आन्धी तुफान में खड़ना सीखो
धीरे धीरे बढना सीखो
लोगों के दिल पढ़ना सीखो
रिश्तों को निभाना सीखो
अपनो को मनाना सीखो
दिल से दिल लगाना सीखो
बुरी यादों को दबाना सीखो
अकेले चलना सीखो
गिरकर सम्भलना सीखो
जख्मो पर लेप लगाना सीखो
वक़्त के साथ बदलना सीखो
सही गलत में अंतर सीखो
गुस्सा भगाने का मन्तर सीखो
मोज मस्ती जमकर सीखो
जोभी सीखो खुलकर सीखो
जिन्दगी को जीना सीखो
जिन्दगी को जीना सीखो
जिन्दगी को जीना सीखो
Gautam Mukhi
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/16/2019
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Ravi vyas: Very Nice poem.
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