कल रात नींद नही आई तो हमारी बीती जिंदगी पढ़ रही थी
हा में पुरानी यादें फिरसे ताज़ा कर रही थी
वो मीठे अल्फ़ाज़ ओर वो जस्बात
कुछ ऐसे ही वो बातो के दौर में राते कट रही थी
वो मेरा कुछ नही बोलकर तेरा सबकुछ समझ जना
वो तेरी प्यारसी शरारतसे मेरा पल मे पिगल जाना
वो मेरा तेरे लिए मन्नते मांगना
मेरे रूठने पर तेरा प्यार से समजाना
ओर ना जाने क्या क्या.....
हा कुछ ऐसे ही तो जिंदगी बीत रही थी
ऐसे ही कुछ दिन बीते कुछ महीने ओर फिर बीत गए कई साल
हा मुझे तो आज भी याद है वो हमारी पहली मुलाक़ात
वो class के उस कोने से तेरी डायरी का घूमकर मेरे पास आना।
मेरे लौटाने पर तेरा हलकासा मुस्कुराना
कुछ ऐसे ही तो शुरुआत हुई थी
हा जिंदगी ऐसे ही तो बीत रही थी
माना अभी तक हमारी बात नही हुई थी
पर इशारो इशारो मे काफी मुलाकात हुई थी
वो इशारो से शरू हुआ ये रिश्ता कब प्यार मे बदल गया पता ही नही चला
तेरा उस कोने से मेरे पास आकर बैठना...
फासला तो कम ही था पर ये लंबा सफ़र कब कट गया ख़याल ही नही रहा
फिर भी हम वक्त से लड़कर क़रीब आ गए ..
हा याद है मुझे की ये बात हमने सबसे छुपाकर रखी थी
की अब हमारी जिंदगी भी प्यार के रंग भर रही थी
हा कुछ ऐसे ही तो जिंदगी बीत रही थी
पर कहते हेना की अच्छा वक़्त ज्यादातर नही रूकता
अभी अभी तो प्यार का सफऱ शुरु ही हुआ था और तूने कह की अब मुझे चलना होगा।
में सोचमे पड़ गयी कि अब कभ हमारा मिलना होगा।
अब तो जुदाई की हवा चल रही थी
तू वहां में यहाँ....बस ऐसे ही तो जिंदगी बीत रही थी।
पर तूने कहा मायूस क्यों होना इस जुदाई से प्यार मुक़ब्मल है अपना
चाहें कितने भी दूर रहे आख़िर तो हम एक ही हेना।
अबतो पैग़ाम का दौर शुरु हो चुका था
कभी तेरा संदेशा आता तो कभी में चिट्ठी देने लगी थी
हा कुछ ऐसे ही तो ज़िदगी बीत रही थी।
जिस्मों का फासला मिलो दूर था
पर प्यार हमारा उतना ही करीब था
लाख कोशिश करले मिलने की
उस भगवान से ज्यादा कोन अमीर था
तेरे इंतज़ार में मन्नतें मांगने लगी भगवान से
जल्दी ही मिलवादो मुझे मेरे प्यार से
ऐसे ही फिरसे कुछ दिन बीते कुछ महीने ओर बीत गए कई साल
इंतज़ार का दौर ख़तम हुआ और पूरे होने आए दिलके अरमान
वक़्त की फीर हवा चली थी..
मिलो दूरी फ़ासलोमे भी कमी बढ़ी थी
हा कुछ ऐसे ही तो जिंदगी बीत रही थी।
कितने खुश थेना हम दोनों
अब दूरिया काम होने वाली थी
नजदीकियां बढ़ने वाली थी
कुछ ऐसे ही जिंदगी एक नया मोड़ लेने वाली थी
ये सब सोचकर कुछ ज्यादा ही खुश होने लगे
अब दुनिया की छोड़ो खुदकी नज़र लगा बैठे
जिस वक़्त को हम हमेशा की मानते थे करीबी
वो जन्मो की दूरियां में बदल गयी थी
वो आखरी मुलाकात मे भी कुछ कमी लगी थी
तेरी आँखो मे भी नमी लगी थी
अब फिरसे कुछ ऐसे ही तो जिंदगी बीत रही थी।
अब हम पास होकर भी दूर होने लगे थे
साथ होकर भी अंजान होने लगे थे
वो मिलो का फासला अब कुछ कदमो में ही तो था
पर अब उसे काटना हमारे लिए मुश्किल हो चूका था
अब ना पैग़ाम आता था ओर ना ही कोई चिट्ठी जाती थी
हा अब कुछ ऐसे ही तो जिंदगी बीत रही थी।
अब ना हमें एकदूसरे का इंतजार था और नाही मिलने का कोई अरमान था
पर प्यार तो आज भी बेख़ुमार था
क्योंकि प्यार तो हमारा मुक़ब्मल होकर एक चूका था
फ़िर दूर रहे या पास किसे फ़र्क पड़ता था
हा माना की अब इंतज़ार नही है
पर दिलके अरमान तो वही है
हा माना कि अब कोई यादे नही बनेंगी
पर जो बनी है वो भी कुछ कम नही होगी
तेरे दिल पर पहली नही तो आखरी दस्तक़ मेरी ही रहेगी
तेरी मेरी कहानी कुछ पल की ही सही पर बनी तो थी
नाम नही जुड़ा तो क्या हुआ जिंदगी कही तो जुड़ी थी
जिंदगी से ना आज शिकायत है ना काल थी
वो तो कल के जैसे आज भी कुछ ऐसे ही तो बीत रही थी
-कोई✍️
हमारी जिंदगी
Darshak Pratigya
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 11/10/2019
(1)
Poem topics: class, Print This Poem , Rhyme Scheme
Previous Poem
Next Poem
Write your comment about हमारी जिंदगी poem by Darshak Pratigya
Best Poems of Darshak Pratigya