तेज़ियाँ वो नहीं गरचे दिलों दिमाग़ों में
रोशनी कुछ अभी बाक़ी है हम च़िराग़ों में

स्याहियाँ सारी अमावस की सोख लेते हैं
नूर पोशीदा है मिट्टी के इन चिराग़ों में

ख़्वाहिशें वो कि जिन्हें क़त्ल कर चुके थे कभी
सब वो ज़िंदा मिलीं हमको दिलों के दाग़ों में

आज इस चारदीवारी में घिरे बैठे हैं
हम कभी मस्तियाँ करते थे चारबाग़ों में