तू समझता नहीं अभी पागल
चीज़ यह क्या है ज़िंदगी पागल

तेरे चलते ही सब अंधेरे हैं
तेरे दम से है रोशनी पागल

दूसरों में ही ऐब हैं सारे
तुझमें कोई नहीं कमी पागल

तू पलटवार सह न पाएगा
वक़्त से कर न दिल्लगी पागल

दरअसल सिर्फ़ तू नहीं नादाँ
हम कमोबेश हैं सभी पागल