ज़िंदगी एक हिसाब का पर्चा
और शायर हिसाब में कच्चा

तेरे मेहरो-करम की बात करें
या करें तेरे सितम का चर्चा

दोस्ती अपनी बरक़रार रहे
तेरा ख़र्चा हो या मेरा ख़र्चा

दूर मंज़िल है और सफ़र तनहा
पाँव नंगे हैं रास्ता कच्चा

झूठी महफ़िल है झूठी तनहाई
एक तेरे इश्क़ का भरम सच्चा