क्या साल है यार
जीने ही नहीं देता
इतना वक्त है , पर गुजरने ही नहीं देता
खाली है रास्ते , पर चलने नहीं देता ,
सोचा सांस तो लेलू
तो ये gas leak कर देता
क्या यार , ये जीने भी नहीं देता ।।
कभी कलामंच के सितारे ले जाता
तो कभी सरहद पे लड़ते शूरवीर ले जाता,
इंसान को बचाने वाले डॉक्टर भी ले जाता
तो रास्ते पे रखवाली करते पुलिस भी ले जाता
पटरी पे सोया मजदूर तो उसे भी कुचलता,
शिकायत भी तेरी करू तो में किससे
मर्जी है तेरी , तू कुछ भी करता
कबतक चलेगा ये तो बताता
क्या यार , तू जीने ही नहीं देता ।।
साल !
Akshay Jadhav
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/22/2020
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