क्यू जूठे बरतन होने पर तुम सिर्फ मुझे आंख दिखाती हो
क्यू उन बरतनों को साफ करने की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है
क्यू फर्श पर चाय गिरने पर तुम मेरी तरफ मुड़ जाती हो
क्यू उन दागो को साफ करने की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है
क्यू स्कूल से आने पर उसका यूनिफॉर्म समेट कर रख देती हो
क्यू अपना यूनिफॉर्म समेटने की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है
क्यू मेहमान आने पर सबसे पहले तुम्हारी नजरे मुझपे होती है
क्यू मेहमानों के लिए चाय बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है
क्यू स्कूल बैग से डब्बा निकालने को तुम हर रोज़ कहती हो पर
क्यू हर बार उसका डब्बा निकालकर देने की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है
क्यू रात को खाना खाते ही तुम मुझे बुलाती हो
और क्यू उस वक़्त बिस्तर बिछाने की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है
क्यू हर बार ये सब पूछने पर तुम ये केहके टाल देती हो
की मै समझदार हूं तो जिम्मेदारी को बिना बोले समझने की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है
माँ
क्यू तुम इन चींजो पर कभी गौर नही करती हो
की ये सब समझने की सीख भाई को देने की जिम्मेदारी तेरी है
Jimmedari
Abhilasha Sharma
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 11/17/2019
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