Biography of Mohammed Irfan

इंसान
ना हक है कि जमाना क्या समझता है ।।
ए इंसान खुद को भूल गया ,अब ओरो को क्या समझता है।
के इख्लाक़ के अच्छे भले थे और रहेंगे ।
हम बदले है तेरी सोच से ,हमे बुरा क्यों समझता है ।।

तेरे ही शहर मै बैठे है मंदिरों ,मस्जिदों के बाहर ।
तू फल ,फूल दे गया अन्दर , यहां भूखे का पेट भरा है यह क्यों समझता है ।।


खून मै भी ए मोहर लगा दो साहेब ।
किसी का खून है बराबर है ,प्र इंसानों को क्यों अलग समझता है ।।


किस बात की लड़ाई है साहेब ,
यहां तो लग इबादत भी एक कि अलग तरीके से करते है , फिर तू नमाज़ ,पूजा , पराथनाओं को अलग क्यों समझता है ।

By : MD Irfan

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Some Days retired from the rest
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1157

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