Harsh Khatri Poems
- 1. अविश्वाश
अविश्वास
क्या कमी रह गयी थी पूजा में तेरे,
एक बार मुझे बतलाया होता
शीश भी यदि कह देता तो,
... - 2. अविश्वाश
अविश्वास
क्या कमी रह गयी थी पूजा में तेरे,
एक बार मुझे बतलाया होता
शीश भी यदि कह देता तो,
... - 3. मकसद
कोई बात नही रे साथी,ये वक़्त ने खेला खेला है
अब तो जीवन जीने का मकसद भी मेरा अकेला है।
है बचा क्या है अब जीवन में यहाँ कौन मेरा साथैला है,
अब तो जीवन जीने का मकसद भी मेरा अकेला है।
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